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"MEET" SHAYRIE'S
शुक्रवार, 13 नवंबर 2009
रुलाकर मुझको वो भी रोया होगा
रुलाकर
मुझको
वो
भी
तो
रोया
होगा
जगाकर
मुझको
वो
भी
न
सोया
होगा
चलो
उसे
हमदर्दी
की
धूप
मे
सुखा
ले
जो
तकिया
उसने
आसुवों
से
भिगोया
होगा
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मायुसिओं से घिर गया हूँसबकी नज़र से गिर गया हूँहिज्...
आईना कर दे
उदास परिंदे .
मुझे महजबी अपना गुलाम कर दे
हर चीज कारोबारी
तेज रफ्तार है जिन्दगी
सब सिकंदर हो गए
मुकद्दर से इन्किलाब
आदमी मे आदमीयत क्या बात है
रुलाकर मुझको वो भी रोया होगा
मगरूर ना होना
मेरे बारे में
Rohit "meet"
नादा था गिला करता रहा तन्हाइयो से अपनी दामन को छुड़ाता रहा मै रुसवाइयो से अपनी खुश था कड़ी धूप मै कोई हमराह है अपना "मीत" अक्सर फरेब खाता रहा मै परछाइयो से अपनी
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
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