शनिवार, 21 नवंबर 2009


बदलो का चाँद भी शर्मसार हुवा है


जब से उसे आपका दीदार हुवा है


हर पल गुमसुम बेखुद यार हुवा है


शायद उसे भी तुमसे प्यार हुवा है

2 टिप्‍पणियां:

  1. बदलो का चाँद भी शर्मसार हुवा है
    जब से उसे आपका दीदार हुवा है

    waah sir bahut hi badhiya ...........

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