ढल रही है उम्र तो सब हड्डियाँ
दिखने लगीं
वक़्त के चेहरे पे कितनी झुरियाँ दिखने लगीं
जाने इनके सामने थी कौन सी मजबूरियाँ
उम्र से अपनी बड़ी ये बच्चियाँ दिखने लगीं
मुझको यू गम के सफ़र मै मुस्कुराता देखकर
सबकी आँखों मैं अजब हैरानियाँ दिखने लगीं
इस खिज़ा कि रुत मे आखिर कौन सा गुल खिल गया
ये कहाँ से फिर चमन मैं तितलियाँ दिखने लगीं
बात दिल की उस से कह दी "मीत" अपना मानकर
उसके चेहरें पर मगर मजबूरियाँ दिखने लगीं
रोहित कुमार "मीत"
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