रविवार, 23 जनवरी 2011

आईने से निगाहें हटा लीजिये

सबकी नज़रों से खुद को बचा लीजिये 
एक तिल अपने रुख पर लगा लीजिये


लग ना,जाये कही तुमको अपनी नज़र

आईने  से   निगाहें   हटा    लीजिये 

ये  बहकती   निगाहें  ठहर   जायेंगी 
ख्वाब  आँखों मे  कोंई  सजा लीजिये


हंसके  कट  जायेगा  प्यार का  रास्ता
हमसफ़र मुझको अपना बना लीजिये

रौशनी  को   कोंई   रास्ता    चाहिए 
आप  चेहरे  से  परदा  उठा   लीजिये 

बेकरारी  मे  भी  चैन  मिल  जायेगा
"मीत" को मीत अपना बना लीजिये
                        
                     रोहित कुमार "मीत"

2 टिप्‍पणियां:

  1. लग ना,जाये कही तुमको अपनी नज़र
    आईने से निगाहें हटा लीजिये

    ये बहकती निगाहें ठहर जायेंगी
    ख्वाब आँखों मे कोंई सजा लीजिये

    Bahut Khoob Sir, kitini saadgi se pesh kiya hai man k bhavo ko

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  2. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

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