मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया





दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया

ये बात और है कि मुझको रुला दिया



इस शहर मे कोई मुझे जानता ना था

फिर किसने रुसवाई को मेरा पता दिया



पास तेरा एक ख़त था निशानी के तौर

मगर आज तो हमने उसे भी जला दिया



चाक जिगर और आँखों मे मेरे अश्क

उसने मेरी वफ़ा का कुछ तो सिला दिया



टूट के बिखर-बिखर गए है यादो के पत्ते

किसने माजी के दरख्तों को हिला दिया



रो देते है बात- बात मे हँसते हुए भी हम

"मीत" इश्क ने तेरे क्या-क्या सिखा दिया



रोहित कुमार "मीत"

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