रविवार, 23 जनवरी 2011

आईने से निगाहें हटा लीजिये

सबकी नज़रों से खुद को बचा लीजिये 
एक तिल अपने रुख पर लगा लीजिये


लग ना,जाये कही तुमको अपनी नज़र

आईने  से   निगाहें   हटा    लीजिये 

ये  बहकती   निगाहें  ठहर   जायेंगी 
ख्वाब  आँखों मे  कोंई  सजा लीजिये


हंसके  कट  जायेगा  प्यार का  रास्ता
हमसफ़र मुझको अपना बना लीजिये

रौशनी  को   कोंई   रास्ता    चाहिए 
आप  चेहरे  से  परदा  उठा   लीजिये 

बेकरारी  मे  भी  चैन  मिल  जायेगा
"मीत" को मीत अपना बना लीजिये
                        
                     रोहित कुमार "मीत"

सोमवार, 17 जनवरी 2011

उम्र से अपनी बड़ी ये बच्चियाँ दिखने लगीं

ढल रही है उम्र तो सब हड्डियाँ  दिखने लगीं
वक़्त के चेहरे पे कितनी झुरियाँ दिखने लगीं

जाने इनके सामने थी कौन सी मजबूरियाँ 
उम्र से अपनी बड़ी ये बच्चियाँ दिखने लगीं

मुझको यू  गम के सफ़र मै मुस्कुराता देखकर 
सबकी आँखों मैं अजब हैरानियाँ दिखने लगीं
  
इस खिज़ा कि रुत मे आखिर कौन सा गुल खिल गया 
ये कहाँ से फिर चमन मैं तितलियाँ दिखने लगीं


बात दिल की उस से  कह दी "मीत" अपना मानकर 
उसके चेहरें पर मगर  मजबूरियाँ दिखने लगीं

                                                   रोहित कुमार "मीत"

रविवार, 2 जनवरी 2011

माँ का आँचल

उन आँखों का काजल बहुत याद आया
वो आवारा सा बादल बहुत याद आया

सफ़र  धूप  मे   मैंने   जब  भी  किया
मुझे माँ का आँचल बहुत याद आया

मै  बस्ती से  गुजरा हूँ जब  भी  कभी
तो मुझको वो जंगल बहुत याद आया

कभी   साथ   हमने  गुजरा   था  जो
वो गुजरा हुआ  पल बहुत याद आया

बहुत   शोहरते   दी   मुझे   आज   ने
मगर"मीत" वो कल बहुत याद आया
                  
                 रोहित कुमार "मीत"