उन आँखों का काजल बहुत याद आया
वो आवारा सा बादल बहुत याद आया
सफ़र धूप मे मैंने जब भी किया
मुझे माँ का आँचल बहुत याद आया
मै बस्ती से गुजरा हूँ जब भी कभी
तो मुझको वो जंगल बहुत याद आया
कभी साथ हमने गुजरा था जो
वो गुजरा हुआ पल बहुत याद आया
बहुत शोहरते दी मुझे आज ने
मगर"मीत" वो कल बहुत याद आया
रोहित कुमार "मीत"
रविवार, 2 जनवरी 2011
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काफी सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है|
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