आँखों से मिरी कौन सा मंज़र गुजर गया
सारे बदन का ख़ून नज़र में उतर गया
मै डिगरियों के साथ भटकता रहा मगर
आख़िर तो ख़ाली हाथ ही बस अपने घर गया
ये जानकर भी दिल को तसल्ली हुई बहुत
मै हो गया तबाह मगर वो सँवर गया
हैरत की कोई बात तो इसमें नहीं जनाब
वो आइना-ए-दिल मिरा टूटा,बिखर गया
फिर आ गया था याद मुझे हादसा कोई
फिर "मीत" अपने आप से मै आज डर गया
रोहित कुमार "मीत"
सारे बदन का ख़ून नज़र में उतर गया
मै डिगरियों के साथ भटकता रहा मगर
आख़िर तो ख़ाली हाथ ही बस अपने घर गया
ये जानकर भी दिल को तसल्ली हुई बहुत
मै हो गया तबाह मगर वो सँवर गया
हैरत की कोई बात तो इसमें नहीं जनाब
वो आइना-ए-दिल मिरा टूटा,बिखर गया
फिर आ गया था याद मुझे हादसा कोई
फिर "मीत" अपने आप से मै आज डर गया
रोहित कुमार "मीत"
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